किसान आंदोलन 2.0 2024 | MSP क्या हैं ?

किसान आंदोलन 2.0 – यह कथन भारत पर बिल्कुल सटीक बैठता है जहां की आधी से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है। लेकिन फिर भी भुखमरी सूचकांक में वह देश 125 देश में 111 पायदान पर खड़ा है। ऐसे में कृषि और उससे जुड़ी समस्या और किसानों के लंबित मांग पर विचार करने की जरूरत भी बन ही जाती है।

यह जरूर तब और बढ़ जाती है जब हाल ही में कृषक और कृषि सुधार से जुड़े दो बड़ी साक्ष्यप किसान नेता चौधरी चरण सिंह और भारत में हरित  क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को देश की सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया हो, जबकि किसान अपनी मांगों को लेकर राजधानी की सड़कों पर खड़े हो। इन परिस्थितियों में बहुत से सवाल खड़ी होती है। 

इस पोस्ट में क्या क्या हैं ?

सबसे पहला सवाल यह है कि आखिर वर्तमान समय में किसानों की मांग क्या है ? उसे देश में कृषि की दुर्दशा क्यों बनी हुई है जहां की एक बड़ी आबादी कृषि निर्भर है। इन सबसे इतर आखिर यह एसपी क्या है जिसे लेकर सरकार और किसानों के बीच अक्सर विवाद बना रहता है ?

इसका निर्धारण कैसे किया जाता है ?कृषि सुधार को लेकर सरकार द्वारा क्या प्रयास किया जा रहे हैं और आगे की रहा क्या हो सकती है ?

भारत में कृषि की समस्या क्या है ? 

भारत में कृषि समस्या को इस बात से बेहतर समझा जा सकता है कि कई सर्वे बताते हैं कि 50% से भी अधिक किसान अपने बच्चों से किसी भी हालात में किसानी नहीं करवाना चाहते। वही एनसीईआरटी के 2022 के आंकड़ों के बारे में तो भारत में प्रतिदिन लगभग 154 किसान और दिहाड़ी  मजदूर आत्महत्या करते हैं। 

भारत में कृषि की दुर्दशा क्या है देखा जाए तो भारत में कृषि की सबसे बड़ी समस्या है छोटी जोत। भारत में 86% से अधिक किस छोटे सीमांत किसान है जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम भूमि है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि भारत में लघु व सीमांत किसान 86 % प्रतिशत है लेकिन उनके अधिकार में 50% से भी कम भूमि है।

इस खंडित भूमि के कारण मशीनीकरण और आधुनिक कृषि पद्धतियों को कुशलता पूर्वक लागू करना कठिन हो जाता है। इससे भारतीय कृषि क्षेत्र पारंपरिक तरीकों पर ही निर्भर रहती है। 

दूसरी समस्या है किसानों के पास निवेश के लिए पूंजी का अभाव है। कई बार किसानों के पास इतनी भी पूंजी नहीं होती कि वे बीज, खाद , सिंचाई , देसी बुनियादी चीजों का भी प्रबंध कर सके।

संस्थागत बेहतर पहुंच के अभाव में कई बार उन्हें गांव के लोगो से ऋण लेना पड़ता है। यह ऋण उन्हें ऐसी जाल में फंसा देती है कि वह या तो जमीन से हाथ तो बैठते हैं या जीवन भर के लिए बद्दुआ मजदूर बन रह जाते है।

किसानों की आत्महत्या के कारण

किसानों की आत्महत्या एक बड़ा कारण है ऋण और फसल ठीक से नहीं पैदा होना । एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 40% किसान संस्थागत स्रोतों से औपचारिक करता नहीं पहुंच पाए वहीं केवल लगभग 6% किसानों के पास ही फसल बीमा कवरेज है।

भारत में अधिकांश हिस्सों में सिंचाई सुविधाओं की कमी भारत में कुल कृषि क्षेत्र का लगभग 47% हिस्सा ही सिंचाई सुविधाओं से युक्त है। पारंपरिक तरीकों जैसे वर्षा पर निर्भर है। कुछ आंकड़ों के माने तो भारत का लगभग 60% शुद्ध बोया गया क्षेत्र वर्षा आधारित है।

भारत में कृषि की दुर्दशा का यह भी एक प्रमुख कारण है जैसे कि वर्ष 2023 24 में कृषि और किसान कल्याण पर भारत सरकार का अनुमानित व्यय 1.25 लाख पर किसान हैं। इसमें उर्वरकों के लिए अतिरिक्त 1.75 लाख करोड रुपए और खाद्य प्रसंस्करण पशुपालन, मत्स्य पालन पर 10000 करोड रुपए से अधिक का आवंटन भी किया गया था।

जल शक्ति मंत्रालय के तहत जन संसाधन विभाग को अधिक धनराशि आवंटित की गई है जो सिंचाई और किसी क्षेत्र से भी जुड़ा है। देखा जाए तो यह राशि केंद्र स्वास्थ्य शिक्षा और कई सामाजिक विकास क्षेत्र पर खर्च की गई। राज्य से अधिक है लेकिन इसमें किसी अनुसंधान का बजट शामिल नहीं है राज्य सरकार भी इस पर खर्च नहीं करती।

यही कारण है कि भारत में प्रति हेक्टेयर उत्पादन बहुत कम है। हालांकि यह उत्पादन बहुत बड़ा है लेकिन फिर भी वैश्विक स्तर पर हम काफी पीछे हैं। जैसे कि भारत में किलोग्राम ऊपर 1950 में 688 थी जो वर्ष 2021-22 से बढ़कर ₹2809 हो गई।

लेकिन दुनिया की औसत उपज आज भी इससे लगभग दोगुनी है। इस काम उपज का एक कारण यह भी है कि भारतीय किसान रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक पर अत्यधिक निर्भर है। सब्सिडी पर प्रतिवर्ष 1 लाख करोड रुपए से अधिक खर्च करती है।

किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन के पीछे की मंशा क्या है ? किसान आंदोलन 2.0

किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन के पीछे की मंशा क्या है या उनकी मांग क्या है ?

किसान आंदोलन 2.0 – किसानों की सबसे महत्वपूर्ण मांग है सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य या एसपी की कानूनी गारंटी।

उनकी दूसरी प्रमुख मांग कृषि पर एमएस स्वामीनाथन समिति की सिफारिश को लागू करवाना।

अधिग्रहण अधिनियम 2013 का कार्यान्वयन भारत के विश्व व्यापार संगठन या WTO के बाहर आ जाने की पेशकश आदि शामिल है

किसान 7 साल से अधिक उम्र के प्रतीक किसान के लिए पेंशन की भी मांग कर रहे हैं उनकी मांगों में नकली उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना का प्रावधान करने तथा बीच की गुणवत्ता में सुधार करने की मांग भी शामिल है

इसके अलावा मिर्च और हल्दी जैसी मसाले के लिए भी प्रस्ताव दिया गया है

MSP क्या है ? और स्वामीनाथन समिति ने इस पर क्या राय दी थी ?

अब आप ये जानना चाहते होंगे की आखिर MSP क्या है ? और स्वामीनाथन समिति ने इस पर क्या राय दी थी ? तो आइए जानते हैं –

एसपी का अर्थ है न्यूनतम समर्थन मूल्य यह वेदर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदनी है। यह फसल के लिए वह न्यूनतम मूल्य है विशेष सरकार किसानों के लिए लाभकारी मानती है। वर्तमान में 22 अनिवार्य फसलों के लिए एसपी और एफआरपी तक की जाती है।

इन अनिवार्य फसलों में खरीद की 14 फैसले 6 रवि फसले और दो अन्य वाणिज्यिक फैसले शामिल है। इसकी सिफारिश किसी लागत और मूल आयोग या सीएसीपी द्वारा की जाती है जो की कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय काएक जबकि केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति या सीसीई एसपी के स्तर को सीएसीपी द्वारा की गई अन्य सिफारिश पर अंतिम निर्णय लेती है।

इसकी सिफारिश के लिए सीएसीपी द्वारा कई कारकों पर विचार किया जाता है इसके लिए आपूर्ति और मांग की स्थिति घरेलू और वैश्विक बाजार मूल रूझर अन्य फसलों की तुलना में समानता मुद्रा स्थिति पर्यावरण और व्यापार की शर्तों को ध्यान में रखा जाता है।

सीएसपी प्रत्येक फसल के लिए राज्य और अखिल भारतीय औसत स्तर पर तीन प्रकार की उत्पादन लागत का अनुमान लगाता है। पहले है A2 इसमें किस द्वारा बीच और बड़ा की दशक किराए पर लिया गया श्रम पत्ते पर ली गई भूमि ईंधन सिंचाई आज पर नगद और वास्तु के रूप में सीधे तौर पर किए गए सभी भुगतान शामिल होते हैं।

दूसरा है A2+FL. इसमें A2 के साथ वैधानिक पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य शामिल है और तीसरा हैएक अधिक व्यापक लागत है इसमें A2+FL. सीट पर स्वामित्व वाली भूमि और अचल पुरी संपत्तियों पर छोड़ेंगे किराए और ब्याज को भीस्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को एसपी उत्पादन की भारत औसत लागत से कम सेकम दिन तक बढ़ाना चाहिए। दूसरे शब्दों में उन्होंने एसपी को C2 + 50% करने का सुझाव दिया है।

Read Also – 2024 में AI का बदलता स्वरुप । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या हैं ?

किसान आंदोलन 2.0 के मांगों को मानने से क्यों कतरा रही है ?

इतना जानने के बाद चलिए जानते हैं कि आखिर सरकार इन मांगों को मानने से क्यों कतरा रही है ?

सबसे पहली समस्या तो यह है आदर्श अभी फसलों पर एसपी का निर्धारण कर भी दिया गया तो भी किसान केवल वही फसल उपजाने जाने के लिए प्रोत्साहित होंगे जिसकी खरीदारी सरकार द्वारा की जाती है। इससे किसानों के उत्पादन निर्णय विकसित होगी जिसके परिणाम स्वरुप कुछ फसलों की अधिक आपूर्ति होगी और कुछ का और होने लगेगी।

दूसरा कारण यह है कई अर्थशास्त्री मानते कि किसानों को कीमत की गारंटी नहीं देंए चाहिए बल्कि गारंटए यही कारण है कि सरकार द्वारा दिसंबर 2020 में किसान शुरू की गई जिला के तहत किसानों को एक साल में तीन किस्तों में कुल ₹6000 की राशि का भुगतान किया जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है विकृत नहीं होती तो वहीं कृषि मौसम से पहले उनके खाते में राशि आ जाती है जिसे वे कृषि पर बैंक कर देते हैं।

एक समस्या यह भी है कि सरकार अगर सभी फसलों के लिए एसपी घोषित करेगी तो फिर उसे पर इन फसलों के खरीद कर दी दवा पड़ेगा जो कि अनुचित कदम है इसी सरकार को विश्व व्यापार संगठन जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी में भी समस्या का सामना करना पड़ेगा

भारत से ही विभिन्न प्रकार के सवालों के बाजार पहुंच मुश्किलों का सामना समस्या का सामना करना पड़ेगा। भारत से ही विभिन्न प्रकार की कृषि सब्सिडी को लेकर सवालों के घेरे में है


पहले से ही बहुत ही योजना चल रही है इसका भारतीय सदस्य पर बड़ा भर है सरकार ने वर्ष 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य भी रखा है जिसके लिए सरकार कृषि व्यवस्था में सुधार के कई प्रयास कर रही है सरकार ने किसानों की सौदा क्षमता को बढ़ाने के लिए 10000 एफपीओ या फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनाने का भी लक्ष्य लगता है

इसके अतिरिक्त सरकार वर्ष 2010-11 से कृषि में राष्ट्रीय ई गवर्नेंस योजना या नड्डा चल रही है इसका उद्देश्य आईसीटी की उपयोग के माध्यम से भारत में तेजी से विकास हासिल करना है

इसके अतिरिक्त सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार या ए नाम की शुरुआत की है जो एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार है और भारतीय किसानों को बिचौलियों से बचाता है

किसान क्रेडिट कार्ड ऑपरेशन ग्रीन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाफसल के लिए राष्ट्रीय मिशन प्रधानमंत्री किसान मंधन योजना प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना का संचालन भी कर रही है।

इसे भी पढ़े

Join Telegram – Click Here

Leave a comment