2024 में AI का बदलता स्वरुप । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या हैं ?

हम सभी ने AI का बदलता स्वरुप यानि Chat GPT या फिर एलेक्सा का नाम तो सुना ही होगा। यदि हां तो यह भी पता होगा कि लोग अलेक्सा से कैसे-कैसे संवाद करते हैं। इनमें से कुछ लोग अलेक्सा से भावनात्मक प्रश्न भी करते हैं जिनका उत्तर वह मशीनी तरीके से ही देती है।

अलेक्सा कुछ और नहीं बल्कि AI है जिसका फुल फॉर्म आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस होता है। तो आइए आज के आर्टिकल में हम इसकी उपयोग , लाभ , भारत में AI का भविष्य , चुनौतियां इत्यादि पर चर्चा करेंगे।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या हैं ? AI का बदलता स्वरुप

मशीनों की ऐसी कार्यों की करने की क्षमता जिन्हें करने के लिए आमतौर पर मानव मस्तिष्क की आवश्यकता होती है उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के शब्दों में कहें तो AI इंटेलिजेंट मशीनों विशेष रूप से कंप्यूटर प्रोग्राम के निर्माण का विज्ञान और अभियांत्रिकी है।

इन मशीनों में सीखने , कारण जानने, विश्लेषण करने, निर्णय लेने तथा दृश्य बोध करने जैसी कार्य क्षमताएं होती हैं। सरल भाषा में कहें तो AI एक सॉफ्टवेयर की क्षमता है जिसका विकास मानव जैसी बुद्धिमत्ता को विकसित करने और उसे लागू करने के लिए किया जाता है।

इसमें AI मशीनों द्वारा खासकर AI का बदलता स्वरुप और कंप्यूटर सिस्टम द्वारा मानव की बौद्धिक प्रक्रियाओं का अनुकरण किया जाता है। Chat GPT , स्मार्टफोन ,गूगल सर्च , सिरी , गूगल अस्सिटेंट , वीडियो गेम्स , यूट्यूब और फेसबुक आदि हमारी सामान्य रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख AI अनुप्रयोग है।

AI हमारे लिए किस प्रकार लाभदायक है ?

AI का बदलता स्वरुप अब इतना बढ़ गया हैं की स्मार्टफोन से आगे बढ़कर आज हम स्मार्ट होम, स्मार्ट ऑफिस की बात कर रहे हैं। हम कब क्या कर रहे हैं ? , हमारा स्वास्थ्य कैसा है? , निकट भविष्य में हमें कौन सी बीमारी होने की संभावना है , इन सब पर AI की नजर बनी रहती है।

दरअसल AI हमारे रस्मों से जुड़े कार्यों से लेकर आजीविका की कामों को करने में सक्षम है। या दूसरे शब्दों में कहे तो AI हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है . इसके साथ ही आने वाले समय में AI हमारे जीवन में अधिक व्याप्त हो जाएगा।

आज हम सब देखते आ रहे हैं की मौजूदा समय में AI स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक हर चीज का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन उपकरणों में पहले से ही AI सीमित कार्य क्षमताओं के साथ उपलब्ध है।

इसके अलावा वैज्ञानिक निकट भविष्य में जल्द ही ऐसे मॉडल को लाने की बात कर रहे हैं जिससे बिना इंटरनेट के ही डिवाइस पर AI का प्रयोग संभव होगा जिससे प्रश्नों के उत्तर देने , बड़े पैमाने पर कंप्यूटिंग करने और वास्तविक समय में कार्य क्षमताओं को अनुकूलित करने में आसानी होगी।

इतना ही नहीं उपयोगकर्ताओं की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार वेबसाइट से लेकर गैजेट तक सब कुछ पर्सनलाइज करके बिंदुओं को जोड़ने में भी मदद करेगा। जैसे मान लीजिए अपने किसी शॉपिंग साइट्स पर किसी प्रोडक्ट की खोज की , तो इसके बाद आपके पसंद के अनुसार यह आपको अलग-अलग साइट्स पर उसे प्रोडक्ट पर उस से जुड़े उत्पादों की जानकारी प्रदान करेगा।

AI पेन

आने वाले समय में AI हमारे जीवन में अधिक व्याप्त हो जाएगा। इस बात का पहला संकेत तब मिला जब ह्यूमन ने अपना AI पेन लॉन्च किया। जिसको लेकर कहा गया कि यह स्मार्टफोन की जगह ले सकता है। इस डिवाइस की बात करें तो इसे आप अपने शर्ट या जैकेट में पहना जा सकता है।

AI पेन वर्चुअल अस्सिटेंट के साथ आता है जो ओपिनियन और माइक्रोसॉफ्ट की टेक पर आधारित है। दरअसल AI पेन परिभाषित करता है कि हम AI के साथ कैसे इंटरेक्ट करते हैं। यह AI पेन सहजता से आपकी दैनिक दिनचर्या में शामिल हो जाता है और आपके आसपास की दुनिया के साथ आपकी बातचीत को बेहतर बनाता है। स्क्रीन रहित इंटरफेस, मल्टी मॉडल और निर्बाध तरीकों से निर्मित यह डिवाइस AI का एक सफल मॉडल पेश करती है।

भारत में AI  के भविष्य

अगर हम भारत में AI के भविष्य की बात करें तो पिछले कुछ वर्षों में भारतीय देश के भीतरी तकनीकी उत्पाद बनाने पर अधिक जोर दिया है ना कि केवल उन्हें यहां असेंबल करने पर। इस कदम के बाद से देश भर में पारिस्थितिकी तंत्र और उत्पाद स्टार्टअप संस्कृति दोनों फलने फूलने लगे हैं। इसके साथ ही भारत सरकार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीम लेकर आयी है।

2024 में AI का बदलता स्वरुप
2024 में AI का बदलता स्वरुप

जिसमें फ्यूचर प्राइम स्किल , अप्सकिलिंग जैसे प्रोग्राम शामिल है। इसके अलावा हायर एजुकेशन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए करिकुलम में भी AI को बाध्य और सब्जेक्ट जोड़ा गया है। इसके अलावा ‘ रिस्पांसिबल AI फॉर यूथ ‘ जैसे कार्यक्रम भी लाए गए हैं जिसका उद्देश्य देशभर में कक्षा 8 से 12 तक के स्कूली छात्रों को AI की गहरी समझ विकसित करना हैं। इन सभी शिक्षा देने के साथ उन्हें मानव केंद्र डिजाइनर और AI उपयोगकर्ता बनने के लिए सशक्त बनाना है।

यह कार्यक्रम छात्रों को यह समझने और पहचान के लिए एक व्यवहारिक शिक्षक अनुभव प्रदान करता है कि AI तकनीक का उपयोग महत्वपूर्ण समस्याओं से निपटने और राष्ट्र की समावेशी विकास के लिए कैसे किया जा सकता है।

2023 के सरकारी डाटा के अनुसार भारत स्मार्टफोन प्रोडक्शन और असेंबल करने का हब बनकर उभरा है। साल 2024 में देश ऑडियो से लेकर कंप्यूटर तक के अन्य क्षेत्रों में विस्तार करने की योजना बना रहा है क्योंकि अधिक कंपनियां सरकार की उत्पादन लिंग प्रोत्साहन योजना का लाभ उठाती है। ऐसे में भारत AI निर्माण के क्षेत्र में भी एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर सकता है।

कई चुनौतियों को उत्पन्न करते हैं

अब हम आपको AI से जुडी कुछ चुनौतिओं के बारे में बताएँगे। ऐसा अक्सर कहा जाता हैं की हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी प्रकार AI हमारे लिए जितना लाभदायक है वहीं दूसरी तरफ यह घातक भी साबित हो सकता है और दूसरे शब्दों में कहे तो हमारे कार्यों को स्मार्ट तरीके से सकता है तो दूसरी तरफ हमारी रोजगार में भारी कौटौती भी कर सकता हैं।

आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 46 प्रतिशत प्रशासनिक कार्यों को AI के माध्यम से बेहद सरलता से किया जाता है। इसके साथ ही लगभग 44 फीसदी कानूनी कामकाज करने में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता सक्षम है।

गौरतलाप है कि AI लेबर से जुड़े कार्य करने में अधिक सक्षम नहीं है। पर AI कि इस कार्य प्रणाली के कारण 30 फीसदी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि इसके साथ ही नए क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी मिलेंगे जिसमें डाटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। इसके साथ ही तकनीक की दुनिया में इसके मिसयूज होने की संभावना अधिक है।

ऐसे में आगे की क्या राह हो सकती है ?

भले ही भविष्य में हम कितनी भी तरक्की कर ले पर इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते है कि भविष्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित कार्यों पर ही टिक सकता है। ऐसे में तकनीक के नकारात्मक परिणामों की पूर्व में ही कल्पना कर उनके हल निकालने पर बोल देना चाहिए।

इस मामले में दुनिया भर के देशों को एक साथ आगे आना होगा। क्योंकि यह मानव सभ्यता के भविष्य का मुद्दा है। वैसे AI से इतना डरने की बात भी नहीं है क्योंकि मानव ही मशीनों व कृत्रिम बुद्धिमत्ता का निर्माता है। यदि मानव को उससे खतरा महसूस होगा तो इस दिशा में सकारात्मक उपाय भी किया जा सकते हैं।

2024 में AI का बदलता स्वरुप
2024 में AI का बदलता स्वरुप

यह सर्वज्ञात है कि मानव बुद्धि ही सबसे अधिक बुद्धिमान है। जहां तक मानव की रोजगारों की समाप्त होने की बात है तो उसका भी समाधान मशीन ही प्रदान करती हैं क्योंकि इन मशीनों का निर्माण उनके लिए सॉफ्टवेयर तैयार करना ,मशीनों का रखरखाव, पुनर्निर्माण आदि मानव के द्वारा ही किया जाएगा।

अगर किसी भी प्रकार की अति से बचते हुए सकारात्मक दिशा में इसके नियंत्रित प्रयोग पर बल देने की जरूरत है ताकि सभ्यता के विकास की अगली पड़ाव की ओर हम सकारात्मक और सुरक्षात्मक तरीके से आगे बढ़ सके।

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